भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

केंचुआ / विजय वाते

55 bytes added, 03:23, 11 जून 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह=ग़ज़ल / विजय वाते
}}
[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>
केंचुओं में भी छोटा बड़ा केंचुआ।
 
कितने ऊँचे पे जा के चढ़ा केंचुआ।
 
गन्दे नाले का पानी क्यों रुकने लगा
 
लो देखो मुहाने अड़ा केंचुआ।
 
शक्तिशाली के आगे तो बेबस है वो
 
आम जन के लिए नकचढ़ा केंचुआ।
 
यों तो सब के लिए मांस का लोथड़ा
 
केंचुए की नज़र में गड़ा केंचुआ।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits