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बातें करें / विजय वाते

18 bytes added, 06:38, 11 जून 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= गज़ल ग़ज़ल / विजय वाते
}}
<poem>
आओ मिल के दो घड़ी संसार की बातें करें,
कुछ करें शिकवे -गिले कुछ प्यार की बातें करें |
हो चुका जो हो रहा है फ़िक्र उसकी खूब ख़ूब की, इन सभी से बन रहे आसार की बातें करें |
जो मिला जब -जब मिला दुनिया के गम ले कर मिला, आज मन है आपसे घरबार की बातें करें |
अब बड़े घर मे बुजुर्गों के नहीं तामीरदार,
आओ मिल के उनसे कुछ उपचार की बातें करें |
छत के गुण गाते हैं हम जो दे रही है आसरा,
छत टिकी काँधे पे जिस दीवार की बातें करें|</poem>
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