गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
आईना रोज़ संवरता कब है / कविता किरण
768 bytes added
,
15:03, 11 जून 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता किरण |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> आईना रोज़ संवरता …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कविता किरण
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
आईना रोज़ संवरता कब है
अक्स पानी पे ठहरता कब है
हमसे कायम ये भरम है वरना
चाँद धरती पे उतरता कब है
न पड़े इश्क की नज़र जब तक
हुस्न का रंग निखरता कब है
हो न मर्ज़ी अगर हवाओं की
रेत पर नम उभरता कब है
लाख चाहे ऐ 'किरण' दिल फ़िर भी
दर्द वादे से मुकरता कब है
</poem>
Shrddha
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits