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05:51, 12 जून 2010
इसने समझ लिया था पहले ही
ख़दा साबित होंगे ख़तरनाक,
शेष अंश जल्द ही अप्लोड अल्लाह, वबालेजान, फज़ीहत, अगर वे रहेंगे मौजूद हर जगह, हर वक्त। झूठ-फरेब, छल-कपट, चोरी, जारी, दग़ाबाजी, छोना-छोरी, सीनाज़ोरी कहाँ फिर लेंगी पनाह; ग़रज़, कि बंद हो जाएगा दुनिया का सब काम, सोचो, कि अगर अपनी प्रेयसी से करते हो तुम प्रेमालाप और पहुँच जाएँ तुम्हारे अब्बाजान, तब क्या होगा तुम्हारा हाल। तबीयत पड़ जाएगी ढीली, नशा सब हो जाएगा काफ़ूर, एक दूसरे से हटकर दूर देखोगे न एक दूसरे का मुँह? मानवता का बुरा होता हाल अगर ईश्वर डटा रहता सब जगह, सब काल। इसने बनवाकर मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर ख़ुदा को कर दिया जाएगा।है बंद; ये हैं ख़ुदा के जेल, जिन्हें यह-देखो तो इसका व्यंग्य- कहती है श्रद्धा-पूजा के स्थान। कहती है उनसे, "आप यहीं करें आराम, दुनिया जपती है आपका नाम, मैं मिल जाऊँगी सुबह-शाम, दिन-रात बहुत रहता है काम।" अल्ला पर लगा है ताला, बंदे करें मनमानी, रँगरेल। वाह री दुनिया, तूने ख़ुदा का बनाया है खूब मज़ाक, खूब खेल।" जहाँ ख़ुदा की नहीं गली दाल, वहाँ बुद्ध की क्या चलती चाल, वे थे मूर्ति के खिलाफ, इसने उन्हीं की बनाई मूर्ति, वे थे पूजा के विरुद्ध, इसने उन्हीं को दिया पूज, उन्हें ईश्वर में था अविश्वास, इसने उन्हीं को कह दिया भगवान, वे आए थे फैलाने को वैराग्य, मिटाने को सिंगार-पटार, इसने उन्हीं को बना दिया श्रृंगार।