भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परवीन शाकिर |संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=परवीन शाकिर
|संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन शाकिर
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
मौसम का अज़ाब चल रहा है
बारिश में गुलाब चल रहा है

फिर दीदा ओ दिल की खैर हो यारब
फिर ज़ेहन में ख़्वाब चल रहा है

सहरा के सफ़र में कब हूँ तनहा
हमराह सराब चल रहा है

ज़ख्मों पे छिड़क रहा है ख़ुशबू
आँखों पे गुलाब मल रहा है

आंधी में दुआ को भी न उट्ठा
यूँ दस्त ए गुलाब शल रहा है
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits