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खड़ा-खड़ा जो सेवा करता,
सबका जीवनदाता ।
बिन जिसके ना बादल आएँ,
बोलो क्या कहलाता ?
ऊँचा-ऊँचा जो उड़े,
ना बादल ना चील ।
कभी डोर उसकी खिंचे,
कभी पेच में ढील ।।
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