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हवा के ज़ोर से पिंदार-ए-बाम-ओ-दार भी गया / फ़राज़
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09:31, 16 जून 2010
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
हवा के ज़ोर से पिंदार-ए-बाम-ओ-
दार
दर
भी गया
चिराग़ को जो बचाते थे उन का घर भी गया
Thevoyager
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