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वो तो दुनिया को मेरी दीवानगी ख़ुश आ गई
तेरे हाथों में वरना वग़रना पहला पत्थर देखता
आँख में आँसू जड़े थे पर सदा तुझ को न दी
डूबने वाला था और साहिल पे चेहरों का हुजूम
पल की मोहलत थी मैं किस को आँख भर के कर देखता
तू भी दिल को इक लहू की बूँद समझा है "फ़राज़"
आँख गर होती तो क़तरे में समन्दर देखता
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