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Kavita Kosh से
घटाएं बख्शीश देती हैं
घिघिया-रिरिया कर
बख्शीश लेते हैं
घटाएं चन्द्र -कटोरे से भिनासारे भिनसारे पौ फटते ही बूंदों की अशार्फियांअशर्फियां
उड़ेल देती हैं--
चिता-आसीन जनों पर
आँखों के रास्ते
झुराई-कठुआई हड्दियों में
घटा-मांएं आशीष देती हैं
बूँद-केशों से
विषाद-अवसाद बुहार
आयु-मार्ग पर
थके-हारे मन पर
चपलता उबेट देती हैं,
युगों की आसक्ति समेट
शून्य हुए मन में भर देती हैं