भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गिरधर गोपाल
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
आदमी जैसे हो कुछ अजगरों के बीच।