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हाइकु कविताएँ / जगदीश व्योम
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12:51, 25 जून 2010
कंकरीट के वन
उदास मन !
धूप के पाँव
थके अनमने से
बैठे सहमे।
धूप के पाँव
थके अनमने से
बैठे सहमे।
डा० जगदीश व्योम
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