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रौंदे तो जाआगे ही
रोना धोना क्यों?
 
चूमकर सो गए
गाँव के गाँव।
 
पर्वत–सा ठहरो
मन की कहो।
 
झेलेगा कब तक
तम के दंश।
 
 
 
निगल गई
सदियों का सृजन
क्रोधित धरा।
 
 
निगल गई
सदियों का सृजन
क्रोधित धरा।