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बेबसी / रेणु हुसैन

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<poem>
शब जो गिरती रहे दूब पर
या उतरते रहें आंसू सिरहाने
जीना-मरना चले रात-भर

किसने देखी भीगी मिट्टी
भीगे सिरहाने किसने देखे
किसने देखी अपनी बेचैनी
किसने समझे हाथ से छूटे लमहे

मर ही जाए बच्चा कोई
cखुली सड़क पर किसी अनाथ-सा
सो ही जाए भूखी-प्यासी
कोई चिड़िया किसी पेड़ पर
बिन पानी और धूप के जैसे
मर ही जाए कोई पौधा
कौन करे अब इसकी चिंता

टूट ही जाए प्यार भरा दिल
कौन ठहरकर देखे इसको
किसके पास है इतना वक़्त
<poem>
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