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07:39, 29 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेणु हुसैन
|संग्रह=पानी-प्यार / रेणु हुसैन
}}
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<poem>
जब तक हम थे तन्हा
थाम रखा था हमने अपने
भीतर का तूफ़ान
अब जब मिल गए हो तुम
तो दर्द के इस दरिया को
बह जाने दो
सागर में मिल जाने दो
कहीं कोई साहिल तो होगा
इसको भी मिल जाएगा
<poem>