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07:41, 29 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेणु हुसैन
|संग्रह=पानी-प्यार / रेणु हुसैन
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
खुशी आती है
किसी मेहमान की तरह
लाख रोको नहीं रुकती
जैसे आती है चली जाती है
ग़म आता है
अपने ही साये की तरह
लाख हटाओ
नहीं हटता
साथ-साथ जीये जाता है।
<poem>