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माया / रेणु हुसैन

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माया तुम्हें छोड़ना होगा
पर तुमने अपने ख़्वाबों से
हमें रंगा
हम रंगते चले गए

माया हमें लौटना होगा
पर संग तुम्हारे खुद को भूल
हम चलते चले गए

माया हमें भूलना होगा
मगर तुम्हारी महक ने बांधा
हम बंधते चले गए

माया बहुत हंसीन थीं तुम
तुमने किया हमेशा छल
हम छलते चले गए
<poem>
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