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Kavita Kosh से
वह कब तक यहां जमा रहेगा
ताश खेलते हुए मवालियों पर
फ़ब्तियां कसते कसता रहेगा,
जबकि मेरे साथ ढलता जाएगा
मेरा ख्याल, -- जो बाद मेरे भी
बूढे लोगों के दिमाग में बना रहेगा--
जेब में हाथ डाले हुए बाबुओं के होठो पर
तिल-तिल कर दम तोड रही
---सिगरेट की तरह।