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अबला- ४. महा नगर में भटकने पर / मनोज श्रीवास्तव
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08:21, 30 जून 2010
मोटर-गाडियों के जबड़े से
अपनी टांग छुडाई
मर्दाने अंगों से
बचाते
बचते
-बचाते
खायी में फिसली-गिरी
पुलिस-भैया के बहकावे में
मर्दानी दुर्गन्ध से सराबोर हुई
मतली-उल्टी से जार-जार हुई
आखिरकार, सूखी नाली में चलती हुई
महफूज़ हुई
Dr. Manoj Srivastav
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