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11:26, 30 जून 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
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<poem>
'''दकियानूस'''
शब्द जो लम्बे समय तक
परित्यक्त रहते हैं,
हमारे सामाजिक शब्दकोश में
गाली बन जाते हैं
मैने अपनी उम्रभर
एक ऐसे शब्द को
आदमी और समाज से
बहिष्कृत होते देखा है
जब कभी मैने
'ब्रह्मचर्य' को परिभाषित मांगा है,
हर दस-वर्षीय लडकी ने सरेआम
मुझे दकियानूस पुकारा है।