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पाठ्यक्रम में कविताएँ : महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड की युवा भारती (कक्षा 12 ) तथा बाल भारती (कक्षा 5,6,9 ) में बाल कविताएं शामिल ।
16 अक्तूबर 1950 को मुम्बई में जन्मे अब्दुल अहद ‘साज़’ इस दौर के नुमाइंदा शायर हैं। वे ख़ूबसूरत ग़ज़लें कहते हैं तो असरदार नज़्में भी। देश- विदेश की उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं में उनकी कविताएं और लेख प्रकाशित हो चुके हैं। ऑल इंडिया तथा अंतर्राष्ट्रीय मुशायरों में वे शिरकत कर चुके हैं। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की सदारत में पाकिस्तान के मुशायरे में शिरकत करने वाले साज़ ने फ़ैज़ साहब से भी अपने ख़ूबसूरत कलाम के लिए दाद वसूल की। दूरदर्शन तथा अन्य चैनलों और रेडियो कार्यक्रमों में कवि और संचालक के तौर पर शिरकत करने वाले साज़ ने तनक़ीद (आलोचना) के इलाक़े में ऐसे कारनामे अंजाम दिए हैं कि अहले-उर्दू उन्हें अपने अदब की आबरू समझते हैं। उनकी शायरी की दो किताबें मंज़रे-आम पर आ चुके हैं- ‘ख़ामोशी बोल उठी है’ और ‘सरगोशियां ज़मानों की’। उन्हें बिहार उर्दू अकादमी अवार्ड, पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी, जेमिनी अकादमी (हरियाणा) और महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाजा जा चुका है। साज़ बाल कविताएं लिखने का नेक काम भी करते हैं। महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड की युवा भारती तथा बाल भारती के पाठ्यक्रम में उनकी कविताएं शामिल हैं।