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दर्द / नीरज दइया

117 bytes added, 15:04, 1 जुलाई 2010
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=नीरज दइया|संग्रह=}} {{KKCatKavita}}<poem> दर्द के सागर में
मैं डूबता तिरता हूं
कोई नहीं थामता
मेरा शब्द-शब्द ।
'''अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा'''</poem>
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