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रचनाकार: [[नागार्जुन]][[कवितायेंCategory:कविताएँ]][[Category:नागार्जुन]]
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नभ में चौकडियां भरें भले
शिशु घन-कुरंग
लो, कब की सुधियां सुधियाँ जगीं, आह
शिशु घन-कुरंग
शिशु घन-कुरंग
''१९६४ में लिखी गई''