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11:18, 3 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल
|संग्रह=ललमुनियॉं की दुनिया
}}
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<poem>
डूबते सूर्य के पुनरोदय का भ्रूण लिये
यह रात गहन घिर आई है
शोकाकुल लय के समतल में
अब चाहो
तो तुम सो जाओ
</poem>