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{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल
|संग्रह=ललमुनियॉं की दुनिया
}}
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<poem>
मैं पलाश की अग्नि
मुझे तुम मत छू लेना
रंग
लाल-नीला-पीला कैसा भी हो
रंगों की हिंसा
नहीं झेल पायेगा निर्मल रूप तुम्हारा
तुम तो आत्मा की सुगंध हो
</poem>
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|संग्रह=ललमुनियॉं की दुनिया
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मैं पलाश की अग्नि
मुझे तुम मत छू लेना
रंग
लाल-नीला-पीला कैसा भी हो
रंगों की हिंसा
नहीं झेल पायेगा निर्मल रूप तुम्हारा
तुम तो आत्मा की सुगंध हो
</poem>