कवि: अशोक चक्रधर{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=अशोक चक्रधर]]|संग्रह=}}~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*{{KKCatKavita}}<poem>
सुदूर कामना
सारी ऊर्जाएं
यानि कि
बहुत बहुत
बहुत बूढ़ा होने पर, एक दिन चाहूंगा
कि तू मर जाए।
(इसलिए नहीं बताया
कि तू डर जाए।)
हां उस दिन
अपने हाथों से
तेरा संस्कार करुंगा,
गहन सन्नाटे में
खटाक से मर जाउंगा।
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