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यह विलोम आसमान
एक ही समंदर सारे समंदरमेरे अंदरसारी नदियां भागती सी आती हैटकराती हैऔर सूख जाती हैसमंदर की नहीं कोई एक नदीफिर भी पाले है हर नदीएक समंदरएक ही समंदर कविता अथाह नीले मेंचुपचापटप्प से गिरी एक नन्हीं सी कंकरीबनातीएक के बाद एक कई वृत्तहोती अथाहचुपचाप
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