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{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / गोबिन्द प्रसाद
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<poem>

यह सुन्दर है
क्योंकि यह समुन्दर है

यह और भी सुन्दर हो सकता है
अगर धार के विरुद्ध
तुम
अपनी चुप्पी तोड़ दो
अगर तुम
तुकों के सहारे जीवन जीना छोड़ दो


टूटना ज़रूरी है
बनने के लिए
टूटना ज़रूरी है
सुन्दर होने के लिए
टूटना ज़रूरी है
समुन्दर होने के लिए
<poem>
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