499 bytes added,
11:58, 6 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
''' अंतर का पत्थर '''
बातें
पत्थरों के
संजीवन
उत्फुल्लन
रसपंकन की
बासी हुई,
लेकिन, सच हैं
क्योंकि--
मेरे अंतर
का पत्थर
सजीव
पुष्पित
रसमय हैं.