भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय चतुर्वेदी |संग्रह=प्रकाशवर्ष / संजय चतुर्…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संजय चतुर्वेदी
|संग्रह=प्रकाशवर्ष / संजय चतुर्वेदी
}}

<Poem>

आदमी द्वारा सताए जाने से
अधिक दारूण है पैसे द्वारा सताया जाना
सबसे क्रूर आदमी से अधिक कू्र होता है वह
सबसे बड़ी फौज भी नहीं होती उतनी असरदार
सबसे ताकतवर दमनतंत्र भी नहीं
सर्वव्‍यापी होते हैं उसके दांत

जब रात की परेड में मिकी माउस हिलाता है हाथ
अपने आंसू नहीं रोक पाते हैं भावातिरेक में वयस्‍क
लोग मार दिए जाते हैं सान-दिएगो की गलियों में
घर पहुंचने से पहले
फेंके जाते हैं नवजात शिशु
लॉज-एंजिलिस की सड़कों पर
और मुक्ति के नाम पर ठगी जाती हैं औरतें
जवानी की हर रात
जिन तक नहीं पहुंच पाए मिकी के सपने

जो सोते हैं बिना चादर, बिना खाए फुटपाथ पर लाखों
जिन पर गिरती है बिजली, बर्फ और बेशुमार अमीरी
जिन पर गिरता है बारहमास का आदमखोर जाड़ा
जो मारे गए वियतनाम, कम्‍बोडिया में
जो मारे जा रहे हैं एल-साल्‍वादोर, निकारागुआ मे
वे नहीं होंगे बेवर्ली हिल्‍स के बच्‍चे
वे नहीं होंगे बर्कले के प्रोफेसर
वे आए थे
वे आते हैं
एल्‍बामा, जॉर्जिया या डाउन-टाउन गरीबी से

भरे पेट वालों को भी गड़ते हैं उसके दांत
जरा-सी हरकत होने पर
वे ठुके हैं सबकी आत्‍मा में कील की तरह

जब हम सोते हैं
उसके दांत गड़ते हैं हमारे सपनों में
और मुंह में भर जाते हैं
डोनाल्‍ड डक के नुचे हुए पंख
00
778
edits