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09:05, 15 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=सुनील गंगोपाध्याय
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[[Category:बांगला]]
<poem>
मनोवेदना का रंग नीला है या कि बादामी
नदी किनारे आज खिले हैं घासफूल
पीले और सफ़ेद
क्या उनके पास भी है हृदय या स्वप्नों की वर्णच्छटा
एक दिन इस नदी के तट पर आकर ख़ुशी से उजला हो जाता हूं
और फिर कभी यहीं जो जाता हूं दुखी
मनहर मुख नीचा कर पूछता हूं
घासफूल, तुम क्या नारी की तरह
दु:ख देते हो
तुम्हीं प्रतीक हो आनन्द के भीर्षोर्षो
'''मूल बंगला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी'''
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