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* [[चलो हम दोनों चलें वहां / नरेन्द्र शर्मा]]
* [[नैना दीवाने एक नहीं माने / नरेन्द्र शर्मा]]
* [ मधु माँग ना मेरे मधुर मीत / नरेन्द्र शर्मा]]
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
मैँने भी मधु के गीत रचे, मेरे मन की मधुशाला मेँ
यदि होँ मेरे कुछ गीत बचे, तो उन गीतोँ के कारण ही,
कुछ और निभा ले प्रीत ~ रीत !
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
मधु कहाँ , यहाँ गँगा - जल है !
प्रभु के चरणोँ मे रखने को ,
जीवन का पका हुआ फल है !
मन हार चुका मधुसदन को,
मैँ भूल चुका मधु भरे गीत !
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
वह गुपचुप प्रेम भरीँ बातेँ, (२)
यह मुरझाया मन भूल चुका
वन कुँजोँ की गुँजित रातेँ (२)
मधु कलषोँ के छलकाने की
हो गयी , मधुर बेला व्यतीत !
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
रचना : [ स्व पँ. नरेन्द्र शर्मा ]
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