गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
लंबी कविता की पाण्डुलिपि / सुनील गंगोपाध्याय
No change in size
,
14:23, 16 जुलाई 2010
अरण्य के साथ एक समान्तराल अरण्य
दोपहर की निर्जनता में दूसरी एक निर्जनता
मुझे
वििस्मत
विस्मित
कर देता हैकभी-कभी बहुत
वििस्मत
विस्मित
कर देता है,
प्यार के मुखमण्डल को घेरे हुए है एक दूसरा प्यार
गहरी सांस के पड़ोस में एक और गहरी सांस
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,282
edits