भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<sort order="asc">
* [[एक बस तू ही नहीं मुझ से ख़फ़ा हो बैठा / फ़रहत शहज़ाद]]
* [[कोंपले फिर फूट आईं शाख़ पर कहना उसे
/ फ़रहत शहज़ाद]]
* [[क्या टूटा है अन्दर-अन्दर क्यों चेहरा कुम्हलाया है / फ़रहत शहज़ाद]]
* [[तन्हा-तन्हा मत सोचा कर / फ़रहत शहज़ाद]]