भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[चलो हम दोनों चलें वहां / नरेन्द्र शर्मा]]
* [[नैना दीवाने एक नहीं माने / नरेन्द्र शर्मा]]
* [[ मधु माँग ना मेरे मधुर मीत / नरेन्द्र शर्मा]]* [[मेरे गीत बडे हरियाले / रेन्द्र शर्मा]]
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
रचना : [ स्व पँ. नरेन्द्र शर्मा ]
मेरे गीत बडे हरियाले,
मैने अपने गीत,
सघन वन अन्तराल से
खोज निकाले
मैँने इन्हे जलधि मे खोजा,
जहाँ द्रवित होता फिरोज़ा
मन का मधु वितरित करने को,
गीत बने मरकत के प्याले !
कनक - वेनु, नभ नील रागिनी,
बनी रही वँशी सुहागिनी
-सात रँध्र की सीढी पर चढ,
गीत बने हारिल मतवाले !
देवदारु की हरित शिखर पर
अन्तिम नीड बनायेँगे स्वर,
शुभ्र हिमालय की छाया मेँ,
लय हो जायेँगे, लय वाले !
[ स्व. पँ. नरेन्द्र शर्मा ]
Anonymous user