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|रचनाकार=रमेश कौशिक
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<poem>
जब बचपन में
पहले दिन मैं
गया पाठशाला था
लिखा गुरु ने काले पट पर
श्वेत चाक से
अक्षर 'अ '|

जैसे मुझे सिखाया गुरु ने
मुझे चाहिए था
वह करना |

किन्तु ठीक विपरीत चला मैं
लिखे श्वेत पृष्ठों के ऊपर
काले अक्षर
जीवन-भर|
</poem>
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