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पलायन / मनोज श्रीवास्तव

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सिर हिलाता रहा
माथे पर बर्तानी बलें दे-देकर
अपनी फ्रेंच दाढ़ीसे दाढ़ी से
चेहरे को महिमामंडित करता रहा