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झटके से सिर के
चुनिंदा बाल उड़ाकर
प्रेम-संदेश पहुंचा ही देता
पर, वह कांप उठाता उठता है
घाम-बतास से सूखे
गाँछ की टूटती टहनी की तरह,
प्रेम के ख्याल -भर से आतंकित हो उठाता है किकि आखिर,
किस चिड़िया का नाम है 'प्रेम'
मोबाइल की तरह
'इश्क दी गली बिच नो एंट्री'
बजते -बजते हुए
उसके बच्चे भी हैं
बेहद लाड़-दुलार के काबिल,
पुचकारने से
और वह घुस जाता है
रसोईं में काम ज़रूरी काम निपटाने,
जबकि पत्नी ड्राइंग रूम में
विहंस-विहंस बतियाती जाती है
एकता कपूर की दुश्चरित्र पात्रों से
और वह महीनों से
एक भी प्रेम-कविता न लिख पाने के गम में
औंधे मुंह कब रात को
सुबह में तब्दील कर देता है,
इनमें से कभी कोई
प्रेम प्रस्तावित ज़रूर करेगी
और तब उसका मर्द होना
सुफल-सार्थक हो जाएगा.