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सब से पहले / सांवर दइया
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|रचनाकार= सांवर दइया
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}}
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<
poem
Poem
>वे समझाते हैं
लड़ो
लड़ना धर्म है
पृथ्वी और मनुष्य को
बचाने के लिए लड़ो ।
सब से पहले
रौंदी जाती है पृथ्वी
अनिल जनविजय
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