गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
रोज़ / चंद्र रेखा ढडवाल
16 bytes added
,
02:12, 21 जुलाई 2010
<poem>
जलती / बुझती
आग पर
तवा रखते सोचती है
कितनी चाहिए होंगी रोटियाँ
बड़े को चार
छिटे
छोटे
को तीन
मुन्नी को आज एक ही
और नन्हे को...
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits