भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कविता-6 / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

No change in size, 15:10, 21 जुलाई 2010
<Poem>
रास्‍ते में जब हमारी आँखें मिलती हैं
मैं सोचता हूं हूँ मुझे उसे कुछ कहना था
पर वह गुज़र जाती है
और हर लहर पर बारंबार टकराती
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,440
edits