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<div style="background-color:#DFDFDF; border:1px solid #5F5F5F; font-size:11px;text-align:center;margin-bottom:25px">यह लेख ललित कुमार द्वारा '''शोधित और कॉपीराइट''' किया गया है। इसका प्रयोग करते हुए आपको लेखक का नाम और इस पन्ने का लिंक देना चाहिये। यह पन्ना इस सूचना को प्रमाणिकृत और सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास है और इसमें लगातार बदलाव होते रहेंगे। ऐसे में इस पन्ने का लिंक देने से पाठक नवीनतम जानकारी तक पँहुच सकेंगे। इस लेख में यदि आप कोई त्रुटि पाते हैं या कोई नई सूचना जोड़ना चाहते हैं तो इसके लिये मुझे '''india.lalit@gmail.com''' पर ईमेल करें।</div>
<div style="font-size:35px;text-align:center;padding-top:15px">इंटरनेट पर हिन्दी के प्रणेता</div>
<div style="font-size:17px;text-align:center;padding-top:15px">'''द्वारा: ललित कुमार'''</div>
<div style="font-size:17px;text-align:center;padding-top:10px">संस्थापक, कविता कोश</div>
कम्प्यूटर और इंटरनेट पर हिन्दी में काम करने और इसके प्रचलन को बढ़ावा देने के आंदोलन की शुरुआत 1990 के दशक में शुरु हुई। यह कोई संगठित आंदोलन नहीं था लेकिन विभिन्न व्यक्तियों ने अपने-अपने स्तर और रुचि के मुताबिक हिन्दी को कम्प्यूटर पर प्रयोग करना शुरु कर दिया था। श्री विनय छजलानी ने सुवि इंफ़ोर्मेशन सिस्टम की स्थापना 1993 में की। आज हम इस कम्पनी को वेबदुनिया के नाम से जानते हैं। वेबदुनिया ने हिन्दी पैड नामक एक सॉफ़्टवेयर बनाया जिस पर हिन्दी भाषा में टाइप किया जा सकता था। हिन्दी फ़ॉंट्स की अनुपलब्धता ने भी लोगो का ध्यान आकर्षित किया और इस दिशा में भी प्रयास तेज हुए। वेबदुनिया ने कई हिन्दी फ़ॉंट्स का निर्माण किया। मार्च 1997 में श्री हर्ष कुमार ने "सुशा" नामक फ़ॉन्ट को मुफ़्त में वितरित करना आरम्भ किया। सुशा काफ़ी हद तक फ़ोनेटिक आधारित थी (अर्थात शब्द को जैसे बोला जाता है वैसे ही उसे टाइप भी किया जाता है)। श्रीमति पूर्णिमा वर्मन द्वारा संचालित प्रसिद्ध हिन्दी वेब-पत्रिकाएँ "अनुभूति" और "अभिव्यक्ति" आरम्भ के वर्षों में इसी इसी सुशा फ़ॉन्ट पर आधारित थी। श्री मैथिली गुप्त ने "कृतिदेव" नामक फ़ॉन्ट का निर्माण किया। यह फ़ॉन्ट शायद सबसे अधिक प्रचलित हिन्दी फ़ॉन्ट्स में से एक है। सुशा और कृतिदेव के प्रयोग से बहुत-सी हिन्दी वेबसाइट्स बनी और छापेखानो में भी इनका प्रयोग काफ़ी हुआ। यहाँ मैं एक सूची दे रहा हूँ जिसमें कुछ ऐसे व्यक्तियों के नाम और योगदान हैं जिन्होनें हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निबाही हैं। कृपया ध्यान दें कि यह सूची पूरी नहीं है। मुझे विश्वास है कि मैं बहुत से महत्वपूर्ण नाम इस सूची में नहीं दे पा रहा हूँ -ऐसा केवल इस बारे में मेरी अज्ञानता के कारण है। मैं उन सभी व्यक्तियों को नमन करता हूँ जिन्होनें हिन्दी भाषा के विकास में कोई भी सकारात्मक भूमिका अदा की है।
* श्री '''विनय छजलानी''' ने 1993 में सुवि इंफ़ोर्मेशन सिस्टम नामक कम्पनी की स्थापना की जो की बाद में '''वेबदुनिया''' नाम से प्रसिद्ध हुई। इस कम्पनी के काम की प्रशंसा माइक्रोसॉफ़्ट ने भी की और इनके साथ सहयोग करने की पेशकश की
* श्री '''वासु श्रीनिवास''' ने जनवरी 1998 में '''बाराहाबरह''' नामक सॉफ़्टवेयर बनाया जिसकी मदद से हिन्दी सहित कई भारतीय भाषाओं मे लिखा जा सकता था* श्री '''अभिषेक चौधरी''' और डा. '''श्वेता चौधरी ''' ने '''हिन्दवी''' नामक सिस्टम बनाया जिससे जिससे कि हिन्दी भाषा में प्रोगरामिंग बेसिक जैसा, सी भाषा जैसा डॉस स्तर पर प्रोग्रामिंग करना संभव है
* श्री '''हरिराम''' ने हिन्दी कोर कम्प्यूटिंग को आसान बनाने के लिये महत्वपूर्ण योगदान किया। वे सीडैक से भी संबंधित रहे हैं
* श्री '''हेमंत कुमार''' ने '''तख्ती''' नामक बेहद लोकप्रिय और बेहद आसान फ़ोनेटिक यूनिकोड देवनागरी लेखन औजार बनाया जिसे विंडोज 98 के जमाने से अब तक प्रयोग में लिया जा रहा है* श्री '''आलोक कुमार''' ने '''देवनागरी.नेट''', का निर्माण किया। आपने लिप्यांतरण औजार '''गिरगिट''' का बेहतर इंटरफ़ेस प्रस्तुत किया और लिनक्स गाइड के हिंदी अनुवादों को भी आरम्भ किया* श्री '''कुलप्रीत सिंह''' ने '''शून्य.इन''' नामक हिंदी की तकनीकी समाचार साइट आरम्भ कीका निर्माण किया* श्री '''विनय जैन''' ने यूनिकोड हिंदी में '''पहला ब्लॉग पोस्ट''' लिखा। श्री '''आलोक कुमार''' ने 9-2-11 नाम का '''पहला हिंदी ब्लॉग''' बनाया.
* श्री '''देबाशीष''' ने पहला लोकप्रिय ब्लॉग एग्रीगेटर '''चिट्ठाविश्व''' का निर्माण किया
* श्री '''राघवन''' एवं '''सुरेखा''' जी ने एक '''आई.एम.ई''' बनाया। यह जावास्क्रिप्ट पर आधारित था और इसकी मदद से और भी कई औज़ार बने।