भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह = पुखराज / गुलज़ार }} <poem> आओ तुमको उठा लू…
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
}}
<poem>
आओ तुमको उठा लूँ कंधों पर
तुम उचककर शारीर होठों से चूम लेना
चूम लेना ये चाँद का माथा
आज की रात देखा ना तुमने
कैसे झुक-झुकके कोहनियों के बल
चाँद इतना करीब आया है
</poem>
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
}}
<poem>
आओ तुमको उठा लूँ कंधों पर
तुम उचककर शारीर होठों से चूम लेना
चूम लेना ये चाँद का माथा
आज की रात देखा ना तुमने
कैसे झुक-झुकके कोहनियों के बल
चाँद इतना करीब आया है
</poem>