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[[Category:ग़ज़ल]]
क्या तकल्लुफ करे तकल्लुफ़ करें ये कहने में जो भी खुश है हम उससे जलते है हैं
है उसे दूर का सफर सफ़र करके हम सम्भाले सँभाले नहीं सम्भलते हैसँभलते हैं
है अजब फैसले फ़ैसले का सहरा भी चल न पड़िए तो पाँव जलते है हैं
हो रहा हूँ मैं किस तरहा तरह बर्बाद देखने वाले हाथ मलते है हैं
तुम बनो रंग, तुम बनो खुशुबू ख़ुशबू हम तो अपने सुख्नन सुख़न में ढ़लते है ढलते हैं
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