भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुंडेर पर पतझड़ / अशोक लव

889 bytes added, 15:12, 3 अगस्त 2010
नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=अशोक लव |संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान }} <poem> ए…
{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक लव
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान
}}
<poem>

एकाकीपन के मध्य
स्मरीतयों के खुले आकाश पर
विचरण कर रहे हैं
उदासियों के पक्षी

कहाँ कहाँ से उड़ते चले आ रहे हैं
बैठते चले जा रहे हैं
मन मुंडेर पर!
भीग गया है अंतस का कोना कोना

क्यों आ जाता है
वसंत के तुंरत बाद
पतझड़ ?
क्यों नहीं भाति उदासियों को
खुशियों की
नन्ही चमकीली बूँदें ?
</poem>
270
edits