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Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक लव
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान/ अशोक लव}}{{KKCatKavita}}
<poem>
हुए हस्ताक्षर
इतना बड़ा देश
लोगों से पूछा तक नहीं गया |।
विभाजित हो गए लोग
बँट गए गली-मोहल्ले,गावँ-शहर,घर -आँगन!
मर गए रिश्ते
जी भरकर भोगा कामांध दरिंदों ने लड़कियों-औरतों को
तलवारों के वार से करते गए
फूँक डाले मोहल्ले के मोहल्ले
हो गए भस्म हिंसा की आग में
खानदान के खानदान |।
इस पार के
और उस पार के
राजनेताओं के हुए राज्याभिषेक
जगमगाए उके उनके भवनों पर रंग-बिरंगे बल्ब नहीं जल पाए चिराग आजतक आज तक
उन घरों में
बुझ गए थे जो सं सन सैंतालीस में | ।
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