भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोई नहीं है आसपास / अशोक लव

1,353 bytes added, 15:07, 5 अगस्त 2010
नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=अशोक लव |संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान / अशोक …
{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक लव
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान / अशोक लव
}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
कोई नहीं है आसपास
फिर भी हवाओं में है
किसी की सुगंध
महका रही है भीतर तक
कर रही है उल्लसित।

वृक्षों के पत्तों में प्रकम्पित
चूड़ियों की खनखनाहट
आकाश में टंगा सूर्य
माथे की बिंदी - सा
चमक रहा है।

जनवरी की कोसी-कोसी धूप
किसी की निकटता -सी
लग रही है सुखद ।
दूरियों की दीवार के पार
है कोई
और यहाँ हैं -
नदी से नहाकर निकली
हवाओं का गीलापन लिए
निकटता के क्षणों के अहसास।

किसी के संग न होने पर भी
आ रही है
हवा के प्रत्येक झोंके के साथ
सुपरिचित महक |
</poem>
270
edits