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16:11, 6 अगस्त 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लावण्या शाह
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भोर भई , तकते पिय का पथ
आये ना मेरे प्रियतम आली
भोर भई !
चन्द्र किरण ने झूला झुलाया
सपनों की माला का हार पहनाया
ओ मेरे प्रियतम मैं डाली - डाली
झूली अकेली सावन में निराली
कान्हा बिन ज्यों राधे अकेली,
लाज से काँपे थर थर चमेली
भोर भई , तकते पिय का पथ
आये ना मेरे प्रियतम आली
भोर भई !
प्यार का दीवला, प्रीत की बाती,
दोनों जले पिया सारी राती
बिखरे थे कितने अम्बर पे तारे,
उनकों गिने, नयनों ने हमारे
फिर भी ना मन को चन पड़े रे
कितने अकेले हम हैं खड़े
भोर भई , तकते पिय का पथ
आये ना मेरे प्रियतम आली
भोर भई !
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