भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रही अछूती / हरीश भादानी

205 bytes added, 19:54, 6 अगस्त 2010
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=हरीश भादानी|संग्रह=आड़ी तानें-सीधी तानें / हरीश भादानी}}{{KKCatGeet}}<poem>रही अछूती
सभी मटकियाँ
मन के कुशल कुम्हार की
रही अछूती....
 
साधों की रसमस माटी
क्वांरा रूप उभार दिया
सतरंगी सपने आँककर
 
हाट सजाई
मन के कुशल कुम्हार की
रही अछूती....
 
अलसाई ऊषा छूदे
मन के कुशल कुम्हार की
रही अछूती....
 
हठी चितेरा प्यासा ही
भरी उमर की बाजी पर
विश्वास लगे हैं दाँव में
 
हार इसी आँगन
सभी मटकियाँ
मन के कुशल कुम्हार की
रही अछूती...</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits