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|रचनाकार=अशोक लव
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माँ!
जीवनदायिनी, पालनकत्री, कष्टहरणी ,संकटमोचिनी
स्नेह की कलकल बहती पावन गंगा

माँ!
ममता का सागर
लेता हिलोरें निशिवासर
भर देती निराश हृदयों में
आशाओं के इन्द्रधनुष

माँ!
उर्जावान प्रकाशमय सूर्य-सी
रखती आलोकित दुर्गम पथ
करती संचरित हृदयों में
लक्ष्यों तक पहुँचने की उर्जा

माँ!
धैर्या, सहनशीलता
हिमालय-सी विशालता समेटे
अविरल सशक्त्वान बनाने में निमग्न

माँ!
आश्रयस्थली
पोंछ देती नयनों के छलछलाते अश्रु
भर देती अधरों पर मुस्काने

माँ!
सर्दियों की कोसी-कोसी धूप
भर देती ताप
शीतल हृदयों में
खिलखिला देती घर-आँगन

माँ!
आशीर्वादों की कामधेनु
इश्वर की प्रतिरूपा
निष्कंटक कर देती जीवन-पथ
</poem>
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