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नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह = पुखराज / गुलज़ार }} <poem> जब जब पतझड़ में…
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
}}
<poem>
जब जब पतझड़ में पेड़ों से पीले पीले पत्ते
मेरे लॉन में आकर गिरते हैं
रात को छत पर जाके मैं आकाश को तकता रहता हूँ
लगता है कमज़ोर सा पीला चाँद भी शायद
पीपल के सूखे पत्ते सा
लहराता-लहराता मेरे लॉन में आकर उतरेगा
</poem>
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
}}
<poem>
जब जब पतझड़ में पेड़ों से पीले पीले पत्ते
मेरे लॉन में आकर गिरते हैं
रात को छत पर जाके मैं आकाश को तकता रहता हूँ
लगता है कमज़ोर सा पीला चाँद भी शायद
पीपल के सूखे पत्ते सा
लहराता-लहराता मेरे लॉन में आकर उतरेगा
</poem>